Holika Dahan 2025 : कब है होलिका दहन? जानें सही तिथि और शुभ मुहूर्त

होलिका दहन 2025 : जैसा कि हम जानते हैं, होली का त्योहार भारत में बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस पर्व की आरंभ होली का दहन से होता है, जिसे ‘छोटी होली’ भी कहा जाता है। होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है और इस दिन होली दहन करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। 2025 में होलीका दहन की तिथि क्या होगी क्या होगा? आइए जानें 13 मार्च या 14 मार्च का सही दिन और शुभ मुहूर्त।

होलीका दहन 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

13 मार्च 2025 गुरुवार को मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से शुरू होगी और 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी।

भद्रा काल और होलीका दहन का शुभ समय

हिंदू धर्म में भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है।

13 मार्च को पूरे दिन भद्रा काल रहेगा, सुबह 10:35 बजे से रात 11:26 बजे तक।

इसलिए, 13 मार्च की रात 11:26 बजे के बाद होलीका जलाया जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि शुभ मुहूर्त रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक चलेगा।

होलिका दहन की तारीख: गुरुवार 13 मार्च 2025

पूर्णिमा: 14 मार्च दोपहर 12:23 बजे से 13 मार्च सुबह 10:35 बजे तक

भद्रा का समय: 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से रात 11:26 बजे तक 13 मार्च

शुभ अवसर: 13 मार्च की रात 11:26 से 12:30 बजे तक

होली : शुक्रवार 14 मार्च 2025

होलीका दहन का पुराणों में वर्णित महत्व

भक्त प्रह्लाद और असुर राजा हिरण्यकश्यप होलीका का दहन करते हैं। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का विरोधी था और उसका पुत्र प्रह्लाद सिर्फ उसी की पूजा करना चाहता था। लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु का सबसे बड़ा अनुयायी था।

हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कई बार कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार उसे बचाया। अंत में, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलीका से सहायता मांगी, जिसे अग्नि में नहीं जलने का वरदान मिला था। होलीका ने प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठने का फैसला किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे, और होलीका जलकर भस्म हो गई। पुराने समय से, होलीका को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानते हैं।

होलीका दहन की विधि और पूजा सामग्री

आवश्यक पूजा की सामग्री:
  • लकड़ियाँ
  • नारियल
  • गंगाजल
  • उपले (गोबर के कंडे)
  • नारियल
  • नई फसल (जैसे गेहूं की बालियां, चना आदि)
  • अबीर-गुलाल
  • रोली, मौली, चावल
  • गुड़, हल्दी

होलीका दहन की प्रक्रिया निम्नलिखित है:

स्थान: होलीका दहन के लिए एक पवित्र स्थान चुना जाता है, जहां लकड़ियाँ और उपले जमा किए जाते हैं।

प्रसाद: होलीका को दहन करने से पहले पूजा की जाती है। इसमें होलीका के चारों ओर तीन या सात बार कच्चे धागे को लपेटा जाता है।

आवाज़: भक्त अग्नि को गेहूं की बालियां, चना, नारियल, गुड़ और कई अन्य फसलें समर्पित करते हैं।

होलीका जलाना: शुभ मुहूर्त में होलीका में अग्नि जलाकर उसके चारों ओर घूमते हैं।

भस्म का तिलक: अग्नि शांत होने पर राख को शुभ माना जाता है और इसे तिलक के रूप में माथे पर लगाया जाता है।

होलीका दहन के फायदे और आवश्यकता

नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना: होलीका का दहन बुरी शक्तियों और बुरी ऊर्जा को खत्म करता है।

फसल सुख: नई फसल की बालियां इस दिन जलाने से आने वाले समय में अच्छी फसल होगी।

सामाजिक सहयोग: यह पर्व एकजुट करता है, क्योंकि लोग एक दूसरे के घर जाकर एक दूसरे को बधाइयाँ देते हैं।

रोग और दोष दूर करना: माना जाता है कि होली की आग में परिक्रमा करने से कई बीमारियाँ दूर होती हैं।

रात 13 मार्च 2025 को होलीका दहन होगा, इसलिए हमें अपने बुरे विचारों को दूर करके रंगों के उत्सव, “होली” का स्वागत करना चाहिए।

होलीका दहन की शुभकामनाएँ!

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